MP में नरवाई जलाने वालों की सैटेलाइट से निगरानी
MP में पराली जलाने वालों की सैटेलाइट से निगरानी: किसानों को नरवाई जलाने पर मिले नोटिस
गेहूं की फसल कटने के बाद किसान खेतों में खड़ी नरवाई (डंठल) को आग लगा देते हैं। देश में हरियाणा, पंजाब के बाद मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं होती हैं। इसकी वजह पर्यावरण प्रदूषण के साथ ही मिट्टी की उत्पादकता कम होना बताया जा रहा है। दरअसल हर साल रबी सीजन के बाद गेहूं की फसल कटाई करने पर बची नरवाई को साफ करने के लिए किसान उसमें आग लगा देते हैं। इसे जलाने से आस पास के वातावरण का तापमान बढ़ने लगता है जो कि ग्लोबलवार्मिग के लिए उत्तरदायी है। वहीं भूमि की उर्वरकता और जैव अंश नष्ट हो जाते हैं। कुछ समय बाद जमीन बंजर हो जाती है। पशुओं के लिए प्राप्त होने वाला भूसा भी नहीं बचता। समस्या से निजात पाने के लिए अब प्रदेश में नरवाई जलाने वाले किसानों पर सैटेलाइट के जरिए नजर रखी जा रही है। रोजाना सैटेलाइट से क्रॉप बर्निंग (नरवाई जलाने) की इमेज को कैप्चर कर कृषि विभाग के पास जिला, गांव और लोकेशन समेत जानकारी आती है। यहां से कलेक्टरों को मामलों की जानकारी भेजकर किसानों को नोटिस देने और जुर्माने की कार्रवाई की जा रही है। एक महीने में प्रदेश में करीब 5,749 पराली जलाने की घटनाएं सैटेलाइट सिस्टम से रिकॉर्ड की गई हैं।
इन 7 जिलों में सबसे ज्यादा नरवाई जलाने की घटनाएं दर्ज हुई है
जिला | पराली जलने की घटनाएं |
होशंगाबाद | 2710 |
हरदा | 810 |
सीहोर | 800 |
विदिशा | 210 |
नरसिंहपुर | 204 |
देवास | 155 |
जबलपुर | 145 |
इन जिलों में भी सैटेलाइट इमेज में कैद हुए पराली जलाने के केस
10 मार्च से 10 अप्रैल के बीच एक महीने में रायसेन में 94, धार में 69, खंडवा में 58, छिंदवाड़ा, सागर में 55,सिवनी में 46, बैतूल में 44, गुना में 41, उज्जैन में 35, दमोह में 28, कटनी में 21, बालाघाट, इंदौर, शाजापुर में 16, छतरपुर, रतलाम में 14, भोपाल, बुरहानपुर, शहडोल में 11, राजगढ़ में 9, खरगोन में 8, सतना, उमरिया में 6, मंड़ला में 5, अशोकनगर, बड़वानी में 4, डिंडोरी, पन्ना में 3, अनूपपुर, शिवपुरी, सिंगरौली में दो-दो और अलीराजपुर, दतिया, ग्वालियर, झाबुआ, रीवा और सीधी में पराली जलाने की एक-एक घटना दर्ज हुई है।
सैटेलाइट से ऐसे होती है निगरानी
मप्र कृषि अभियांत्रिकी विभाग के संचालक राजीव चौधरी ने बताया कि फसल कटने के बाद खेतों में जो नरवाई बचती है किसान उसमें आग लगा देते हैं। इस प्रथा पर रोक लगाने के लिए इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट के कंसोर्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोईकोसिस्टम मॉनिटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस से निगरानी की जा रही है। सैटेलाइट से क्रॉप बर्निंग वाली लोकेशन की जानकारी रिकॉर्ड की जाती है। इसमें पराली जलने वाली जगह की लोकेशन अक्षांतर और देशांतर (longitude and latitude) गांव तहसील और जिले की जानकारी मप्र के कृषि अभियांत्रिकी विभाग को मिलती है।
रोजाना सैटेलाइट से दर्ज हुई पराली जलने की घटनाओं का डेटा जिलेवार कलेक्टरों को भेजा जाता है। प्रशासन इसका सत्यापन कराने के बाद पराली जलाने वाले किसानों को नोटिस देने और जुर्माने की कार्रवाई करता है। चौधरी ने बताया कि मप्र में धान की पराली में भी आग लगाई जाती है, लेकिन किसानों को जागरूक करने के बाद एक साल में करीब 31 फीसदी की कमी आई है।
नरवाई मैनेजमेंट के लिए 40% सब्सिडी पर दिए जा रहे उपकरण
नरवाई जलाने के बजाए उसे उपयोगी बनाने के लिए कृषि विभाग 40 फीसदी अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराता है। इनके जरिए किसान नरवाई से भूसा, चारा बना सकते हैं। नरवाई को खेतों की जमीन में गाढ़कर मिक्स सकते हैं।इन उपकरणों से किया जा रहा नरवाई प्रबंधन
श्रेडर
बेलर
रीपर कम बाइंडर
स्ट्रारीपर
सुपर सीडर
जीरो टिलेज सीड ड्रिल
किसानों को नरवाई जलाने पर मिले नोटिस
नरवाई जलाने के बाद किसानों को मिले नोटिस
धार जिले में नरवाई जलाने के मामले में प्रशासन ने अब तक 19 किसानों को नोटिस जारी किए हैं। जिला शासन ने राजगढ़ और फूलगांवड़ी में नरवाई जलाने वाले खेतों के मालिकों को फौजदारी 106, 117 के तहत अर्थदंड एवं कार्रवाई करने संबंधी नोटिस दिए हैं। क्षेत्र के किसानों का कहना है कि उन्हें नोटिस मिलने के बाद पता चला कि उनके खेत की नरवाई जला दी गई है। किसानों का कहना है कि ज्यादातर मामलों में बिजली फाल्ट होने पर नरवाई जलने की समस्या आ रही है।
जुर्माने का प्रावधान
नरवाई जलाने पर किसानों से अलग-अलग तरह से जुर्माना वसूला जाएगा। इसके तहत दो एकड़ तक खेत में नरवाई जलाने पर 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ खेत में नरवाई जलाने पर पांच हजार रुपये तथा पांच एकड़ से अधिक खेत की नरवाई जलाने पर 15 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा।