डाउनलोड टीआरएस (TRS) पत्रक रबी एवं खरीफ Pdf

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डाउनलोड टीआरएस (TRS) पत्रक रबी एवं खरीफ Pdf: टी.आर.एस. (प्रमुख फसलों के क्षेत्रफल एवं उत्पादन के अनुमान समय पर भेजने की योजना) गिरदावरी कृषि एवं उत्पादन संबंधी योजना निर्धारण हेतु अत्यंत आवश्यक है। कृषि एवं उत्पादन संबंधी योजनाओं के निर्धारण हेतु फसल बोनी के तुरन्त बाद ही फसल गिरदावरी के आँकड़े प्राप्त करना बहुत आवश्यक होता है। चूंकि सामान्य फसल गिरदावरी के आँकड़े काफी समय से प्राप्त हो पाते हैं इसलिए टीआरएस गिरदावरी के लिए सभी ग्रामों में से कुछ (म.प्र. में वर्तमान में 20%) ग्रामों का चयन न्यादर्श पद्धति से इस योजनान्तर्गत किया जाता है। चुने हुए ग्रामों की गिरदावरी सामान्य फसल गिरदावरी से पहले करके शासन को भेजा जाता है ताकि उनका उपयोग पूर्वानुमानों को तैयार करने या किसी भी नीति के सही एवं उचित समय पर निर्धारण करने में किया जा सके। इस (T.R.S.) योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार है:-

उद्देश्य

  • न्यादर्श पद्धति द्वारा पटवारी हल्के में चुने गये एक या दो ग्रामों में गिरदावरी के आधार पर प्रमुख फसलों के क्षेत्रफल के अनुमानों के अधिक विश्वसनीय एवं सही आँकड़े प्राप्त करना। इस प्रकार प्राथमिकता के आधार पर प्रदेश के 20 प्रतिशत ग्रामों में गिरदावरी सम्पन्न कराकर क्षेत्रफल के अनुमान के आँकड़े तैयार करना।
  • फसलों की कटनी के तुरंत बाद ही प्रमुख फसलों के उत्पादन के अधिक विश्वसनीय एवं सही आँकड़े प्राप्त करना।
  • प्रमुख फसलों के आधार पर सिंचित, असिंचित तथा विपुल पैदावार देने वाली फसलों के क्षेत्रफल के विश्वसनीय अनुमान प्राप्त करना।
  • प्रमुख फसलों के आधार पार सिंचित, असिंचित तथा विपुल पैदावार देने वाली फसलों के उत्पादन के अनुमान प्राप्त करना।
  • प्रदेश के चुने गये 20 प्रतिशत ग्रामों की जानकारी के आधार पर भूमि उपयोग के अनुमान तैयार करना।
  • सांख्यिकीय अधिकारियों द्वारा क्षेत्रफल तथा उत्पादन के आंकड़ों की विश्वसनीयता बढ़ाने के लिये क्षेत्र कार्य के पर्याप्त निरीक्षण की व्यवस्था करना।

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योजना का विस्तार

यह सर्वेक्षण राज्य के समस्त जिलों में किया जावेगा, सर्वेक्षण के लिये राज्य की प्रमुख

  • खरीफ की 13 फसलें- (1) धान, (2) ज्वार, (3) कोदों-कुटकी, (4) कपास, (5) तुअर, (6) बाजरा, (7) उड़द, (8) मूंगफली, (9) तिल, (10) मूंग, (11) मक्का, (12) गन्ना, (13) सोयाबीन
  • रबी की 12 फसलें- (1) गेहूँ, (2) चना, (3) लाख, (4) अलसी, (5) मूंग, (6) उड़द, (7) मसूर, (8) जौ, (9) राई-सरसों, (10) तिल, (11) ज्वार, (12). मटर का समावेश किया गया है।

इस सर्वेक्षण का क्षेत्रकार्य पटवारियों एवं राजस्व निरीक्षकों द्वारा किया जाता है। उपरोक्त फसलों के क्षेत्रफल के आँकडे गिरदावरी के आधार पर पटवारियों द्वारा संकलित किये जाते हैं तथा गिरदावरी पूर्ण करने के तुरंत पश्चात् विहित पत्रकों में भरकर राजस्व निरीक्षक को प्रस्तुत करते हैं। राजस्व निरीक्षक अपने मंडल का इकजाई गोशवारा विहित प्रपत्र में तैयार कर क्षेत्रीय उप-आयुक्त, भूअभिलेख को विहित प्रपत्र में निर्धारित दिनांक तक प्रस्तुत करते हैं। इसी तरह क्षेत्रीय उप-आयुक्त, भूअभिलेख द्वारा विहित प्रपत्र में जानकारी निर्धारित दिनांक तक आयुक्त, भू-अभिलेख मध्यप्रदेश को भेजते हैं। जिसके आधार पर राज्य स्तरीय क्षेत्रफल के अनुमान आयुक्त, भू-अभिलेख द्वारा शासन को निर्धारित दिनांक तक भेजे जाते हैं। पटवारी इस बात का विशेष ध्यान रखेगा कि गिरदावरी के समय ही सिंचित, असिंचित व विपुल पैदावार देने वाली फसलों के अन्तर्गत क्षेत्रफल के आँकड़े पृथक्-पृथक् दर्शाएं जावें।

ग्रामों का चुनाव

  • क्षेत्रीय उप-आयुक्त, भू-अभिलेख इस योजना के अन्तर्गत गांवों का चुनाव करते है। व इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जिस पटवारी हल्के में पाँच या उससे कम ग्राम हों, तो उसमें से एक ग्राम, जिसमें पांच से दस तक ग्राम हों, उसमें से दो ग्रामों तथा 10 से 15 तक ग्राम वाले हल्कों में से तीन ग्रामों का चुनाव अवश्य किया जाये। इसी प्रकार प्रत्येक राजस्व निरीक्षक मण्डल के कुल ग्रामों में से 20 प्रतिशत ग्रामों का चुनाव प्रतिवर्ष किया जावेगा। प्रथम वर्ष में चुना गया ग्राम अगले चार वर्षों में नहीं चुना जायेगा। ग्रामों का चुनाव पांच वर्षों हेतु एक साथ किया जायेगा। राजस्व निरीक्षक मण्डल में चुने गये 20 प्रतिशतत ग्रामों में से ही फसल कटाई के प्रयोगों के लिये निर्धारित संख्या में ग्राम चुने जायेंगे।
  • क्षेत्रीय उप-आयुक्त, भू-अभिलेख द्वारा योजना के सर्वेक्षण हेतु गांवों का चुनाव कर चुने गये गांवों की सूची प्रतिवर्ष संबंधित जिलाध्यक्षों की ओर भेजी जायेगी। जिलाध्यक्ष सूची प्राप्त होते ही समस्त राजस्व निरीक्षकों तथा राजस्व निरीक्षक अपने मण्डल के समस्त संबंधित पटवारियों को वितरित कर देंगे।
  • यदि सूची में दर्शाए गए ग्रामों के नामों में या अन्य किसी प्रकार की असंगति हो, तो उसकी सूचना राजस्व निरीक्षक अपने जिले के जिलाध्यक्ष कार्यालय को अविलम्ब भेजेंगे। अधीक्षक, भू-अभिलेख इनकी जांच करने के पश्चात् ऐसी संशोधित ग्रामों की सूची उप-आयुक्त, भू-अभिलख को भेजेंगे तथा उसकी एक प्रति आयुक्त, भू-अभिलेख को भी भेजी जाये जिससे समयावधि में ही असंगतियों का निराकरण प्राप्त हो सके।
  • अधीक्षक, भू-अभिलेख उनके कार्यालय में कार्यालयीन प्रति के रूप में रखी गई सूची में राजस्व निरीक्षक द्वारा भेजे गए गोशवारा पत्रक के संबंध में प्राप्त सूचना का लेखा-जोखा रखेंगे तथा उसके अप्राप्त पत्रकों के लिए वे समय-समय पर राजस्व निरीक्षक को स्मरण कराते रहेंगे, जिससे राजस्व निरीक्षक द्वारा समयावधि में एवं अपेक्षित मात्रा में गोशवारा पत्रक भेजे जा सकें।

चुने गये ग्रामों का गिरदावरी कार्य

  • पटवारी द्वारा खरीफ तथा रबी मौसम में गिरदावरी कार्य क्रमश: 30 सितम्बर तथा 15 जनवरी तक करना अनिवार्य है। खरीफ तथ रबी मौसम की गिरदावरी के लिये चुने गए ग्राम एक ही होंगे, परन्तु पटवारी द्वारा दोनों मौसम की फसलों की गिरदावरी अलग-अलग की जाएगी एवं उसके परिणाम गिरदावरी पूर्ण होने के तुरन्त पश्चात् निर्धारित पत्रकों में दो प्रतियों में भरकर अपने मण्डल के राजस्व निरीक्षक को प्रत्येक मौसम के लिए अलग-अलग भेजेगा।
  • भू-अभिलेख नियमावली, भाग-1 के अध्याय-9 की कण्डिका- 11 (5) व 12 (घ) के अनुसार वे मिश्रित फसलें जिनकी फार्म में स्पष्ट व्यवस्था नहीं की गई हो, प्रमुख फसलों के शीर्ष के अंतर्गत प्रविष्टि की जानी चाहिए।
  • चुने गए ग्रामों की गिरदावरी का कार्य समाप्त होते ही पटवारी खसरे में पृष्ठवार खरीफ, रबी फसलों एवं अन्य भूमि उपयोग का योग पृथक्-पृथक् दर्शाएगा। इसके पश्चात् यह गांव का चिट्ठा भी तैयार करेगा। प्रत्येक गांव के कुल क्षेत्र का गांव की भूमि उपयोग में मिलान करने हेतु पटवारी चुने गये ग्रामों में रबी की गिरदावरी समाप्त होते ही गांव का मिलान खसरा भी तैयार करेगा। गिरदावरी से सबंधित समस्त वार्षिक कागजात एक ही बार में तैयार किये जायेंगे।

योजना का संगठन एवं निरीक्षण

  • यह योजना आयुक्त, भू-अभिलेख, मध्यप्रदेश की प्रशासकीय देखरेख में संचालित है और इसका तांत्रिक निर्देशन संयुक्त संचालक (सां) द्वारा किया जाता है।
  • क्षेत्रीय उप आयुक्त, भू-अभिलेख अपने क्षेत्र के जिलों में कार्य के निर्देशन एवं योजना के सफल क्रियान्वयन के लिये उत्तरदायी हैं, उनकी सहायकता के लिये नियुक्त सहायक आयुक्त (सां.) अपने क्षेत्र के जिलों से प्राप्त पत्रकों की जांच आँकड़ों का विश्लेषण तथा कार्य का निरीक्षण एवं सामयिक प्रतिवेदन आदि तैयार कर आयुक्त, भू-अभिलेख, मध्यप्रदेश को निर्धारित समय पर भेजेंगे, योजना में नियुक्त क्षेत्रीय कार्यालयों में पदस्थ पर्यवेक्षक फसल प्रयोग भी योजना के क्षेत्रीय कार्य का निरीक्षण करेंगे।
  • जिला स्तर पर इस सर्वेक्षण का कार्य जिलाध्यक्ष की प्रशासनिक देखरेख एवं अधीक्षक, भू-अभिलेख के तांत्रिक, निर्देशन में किया जावेगा, वे योजना के अन्तर्गत चुने गये ग्रामों में गिरदावरी कार्य समयावधि में पूर्ण करायेंगे। साथ ही संबंधित पत्रक क्षेत्रीय कर्मचारी से निर्धारित दिनांक तक क्षेत्रीय उप-आयुक्त भू-अभिलेख की ओर भिजवाने हेतु भी आवश्यक कार्यवाही करेंगे।
  • सांख्यिकी अधिकारियों के अतिरिक्त राजस्व एवं भू-अभिलेख अधिकारियों तथा राजस्व निरीक्षक भी दस-दस प्रतिशत ग्रामों में गिरदावरी कार्य का निरीक्षण करेंगे।

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